परम पूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज की श्रद्धांजलि
जो मैने कभी नहीं सोचा था और कभी सपने मे भी नहीं देखा था वह मुझे आज आप के सामने वह कहना पड़ रहा है। कि जो दो हाथ मेरे लाखो करोड़ो हाथ के बराबर थे वह हाथ आज की रात मेरा साथ छोड गये। भाई श्री राजीव जी जो एक एक पल देश के लिये जीते थे जिनके तन मे, मन मे, हृदय मे, प्राण मे देश प्रेम इतना प्रखर था की अपना पूरा बचपन, अपनी पूरी जवानी, अपना पूरा जीवन राष्ट्र के लिये अर्पित कर दिया था। दो दशक से जो देश भर मे घुम घुम कर के लोगो के भीतर स्वाभिमान जगा रहे थे, पहले आजादी बचाओ आन्दोलन के नाम से उन्होने एक आन्दोलन शुरु किया था। और विगत लगभग दस बर्षो से हृदय से आत्मा से मेरे साथ जुडे और वर्तमान मे भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सचिव का दायित्व देख रहे थे। भारत स्वाभिमान के इस यात्रा के दौरान भिलाई में देश के इस भलाई के इस काम मे देश मे, जो चारो और रोग, भय, भूख, भ्रम, भ्रान्ति, भ्रष्टाचार की लूट और भ्रष्ट सत्ता और व्यवस्था से जिनका जीवन हमेशा उद्वेलित वह आन्दोलित रहता था। जैसे एक सैनिक रण भूमि में युद्ध करता हुआ अपने प्राणों की आहुति दे देता है, अपना बलिदान वह शहादत दे देता है ऐसे ही भाई श्री राजीव जी इस राष्ट्र निर्माण के, इस चरित्र निर्माण के इस अभियान में, इस युद्ध क्षेत्र में, इस कर्म क्षेत्र में कार्य करते हुए अपने हृदय में भारत के स्वर्णीम अतीत को संजोये हुए और वर्तमान की पीड़ाओं के कारण पीड़ित हो कर के एक भारत के स्वर्णीम अतीत का सपना अपने हृदय मे संजोकर के हर पल जीते थे। जो मै नही कहना चाहता था आज मुझे वह कहना पड़ रहा है। उन्होने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान अपनी आहुति देकर के हमसे सदा- सदा के लिए विदा हो गये। हम अपने श्रद्धात्मिक हृदय से माँ भारती के इस लाल को जो भाई श्री राजीव जी, जो ज्ञान के यथार्थ भंडार थे उनके भीतर असीम अनन्त प्रतिभाए थी बहुत विराट उनका व्यक्तित्व था उनको हम पतंजलि योगपीठ परिवार कि ओर से, भारत स्वाभिमान के इस अभियान की ओर से और करोड़ो-करोड़ो देशभक्तों की ओर से हम श्रद्धांजलि अर्पित करते है। और जो स्वर्णिम अतीत का सपना उन्होने अपने हृदय में संजोया था हम सव मिलकर उस सपने को जल्द ही साकार करेंगे। स्वामी रामदेवजी की श्रद्धांजलि 
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